Different parts of the Mobile phone
इस अध्याय में आप मोबाईल के विभिन्न पार्टस, मोबाईल के कनेक्टर्स एवं सॉकेट्स, अन्य पार्टस इलेक्ट्रॉनिक पार्टस एवं उनके सिम्बोल एवं कार्य आदि सीखेंगे.मोबाईल के विभिन्न पार्टस
(Different parts of the Mobile phone.)
मोबाईल फोन के कनेक्टर्स एवं सॉकेट्स1) बैटरी कनेक्टर्स
2) चार्जिंग कनेक्टर्स
3) ईयरफोन सॉकेट
4) सीम सॉकेट
5) मेमोरी कार्ड सॉकेट
6) डिस्प्ले सॉकेट
7) टच स्क्रीन सॉकेट
8) कैमरा कनेक्टर्स
अन्य पार्टस
° आंतरिक कीपेड
° बाहरी कीपेड
° बैटरी
° वायब्रेटर
° ऑन ऑफ स्वीच
° कैमरा
° डिस्प्ले
° वॉल्यूम बटन
° एन्टीना
° RF केबल
° RTC
° फिंगर प्रिंट सेन्सर
° माइक
° स्पीकर
° रिंगर
° फ्रन्ट बॉडी
° बैक कवर
° बैक बॉडी
° पीसीबी
° टच स्क्रीन
° क्रिस्टल
° प्रोक्सिमिटी सेन्सर
इलेक्ट्रनिक्स पार्टस उनके नाम, सिम्बोल एवं कार्य
यहां पर मोबाईल में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रनिक्स पार्टस एवं उनके सिम्बोल (सांकेतिक चित्र) दिए जा रहे है इन्हें याद कर ले. जब भी हम मोबाईल के सिम्बोल
डायग्राम को स्टडी करते है, डायग्राम को समझने मे
ताथ कौन से पार्टस किससे जुड़े है यह हम डायग्राम को
को देखकर आसानी से पता लगा सकते है. वास्तव में मोबाईल की प्लेट पर या मोबाईल मे ये पार्टस इन चिन्हो से अलग अलग दिखाई देते है.
1. रेसिस्टर (Resistor) :- इसे R सेे सुचित किया जाता है. इसके ईकाई ओम ♎ होता है ताथ यह करन्ट के रास्ते में रूकावट डालता हैंं.
2.केपेसिटर (Capacitor) :- इसे C सुचित किया जाता है. इसे कन्डेन्सर भी कहा जाता है, यह इलेक्ट्रॉनिकल एनर्जी को स्टोर करने का कार्य करता है.
यह ब्राउन, ग्रे और औरेन्ज कलर मे आता है.
अधिकतर ब्राउन कलर मे देखने को मिलता है, औरेन्ज
ग्रे कम ही दिखाई देते है.
3. Coil :- इसे L से सुचित किया जाता है. यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कम्प़ोनेन्टस है जो आस पास मेगनेटिक फिल्ड बनाता है.
4. ट्राजिस्टर(Transistor):यह एक सेेमीकन्डकटर
डिवाइस होता है इनमें तीन कनेक्शन होते है बेस, कलेक्टर एवं इमीटर . यह विभिन्न क्रियाएं करता है यह दो प्रकार का होता है. NPN and PNP
◆ B= Base
◆ C= Collector
◆ E= Emitor
5. डायोड (Diode):-इसका उपयोग AC को DC में
बदलने में किया जाता है. इसके दो इलेक्ट्रोड होते है
जिसे एनोड और कैथोड कहा जाता है. डायोड तीन तरह के होते है.
(i) ज़िनर डायोड: - इसका उपयोग सर्किट में फिक्स
वॉल्टेज देने के लिए किया जाता है.
(ii) रेक्टिफायर डायोड : - इसका उपयोग AC को DC में बदलनेे में किया जाता है.
(iii) एलइडी (LED) ( Light Emiting Diode): - यह प्रकाश को उत्सर्जित करती इसका उपयोग मोबाईल डिस्प्ले एवं कीपेड बैक लाईट मे तथा टार्च लाईट मे किया जाता है.
6. ट्रान्सफार्मर( Transformer):- यह AC करन्ट
को कम या ज्यादा करने का कार्य करता है.
7.फिल्टर केपेसिटर ( Filter Capacitor ) :-
फिल्टर केपेसिटर का कार्य किसी निश्र्चित को फिल्टर
(अलग) करना होता है.
8.आईसी(IC):-इसके अन्दर एक सुक्षम इलेक्ट्रनिक्स
सर्किट होता है. यह एक प्रकार का सेमीकन्डक्टर होता
है. यह दो प्रकार का होता है.
(i) बीजीए(BGA)
(i) एस एम डी (SMD)
9. माइक (Mic):- यह ध्वनि सिग्रलकको इलेक्ट्रिक
सिग्रल मे बदलने का कार्य करता है.
10. फयूज (Fuse): - यह एक नाजूक तार से बना होता है ओवरलोड या अधिक लोड पर यह तार टूट जाता है.
11. ग्राउन्ड( Ground): - Ground या (-) को प्रदर्शित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है.
12. बिना जुड़ी तार : - अगर तार आपस में जूूूड़ी हूई
नहीं है तो इस प्रकार प्रदर्शित किया जाता है.
13. जूूूड़ी हूई तार : - अगर तार आपस में जूूूड़ी हूई
है तो इस प्रकार प्रदर्शित किया जाता है.
14. स्विच( Switch):- इसका उपयोग सर्किट की सप्लाई को ट्रिगर करनेे या On/Off करने मे किया जाता है.
15.पीसीबी(PCB):- मोबाईल की प्लेट या मदरबोर्ड
को पीसीबी कहा जाता है इसी पीसीबी पर सारे कम्प़ोनेन्टस लगे होते है.
16. स्पीकर (Speaker): - इलेेइलेेक्ट्रिकल सिग्रल को ध्वनि में बदलने का कार्य करता है.
17. AC ( Alternate Current ) : - इसे
Alternate Currentभी कहा जाता है. यह एक प्रकार का इलेक्ट्रीक करेन्ट होता है जो किसी सर्किट में
समय के साथ अपनी दिशा बदलती रहती है, अर्थात एक बार + प्लस की ओर दूसरी बार - माइनस की ओर
यह इलेक्ट्रिक सॉकेट से प्राप्त होती है.
18.DC (Direct Current):- यह भी एक प्रकार का करेन्ट होोताहै जो समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलता है. यह बैैटरी से प्राप्त होती है.
19 . वाइब्रेटर (Vibrator):- यह एक प्रकार की मोटर होता है जो घुमने पर वायब्रेटर करती है.
20. रेग्युलेटर (Regulator):
21. रिंगर (Ringer)
इलेक्ट्रिकल सिग्रल को ध्वनि सिग्रल में बदलने कार्य करता है.
कुछ अन्य परिभाषाएं:
1. चालक या सुचालक या कन्डक्टर:- वे पदार्थ जिससे इलेक्ट्रि ककरन्ट आसानी से गुुुरज सके
चालक कहते है, जैसे- सोना, चाँदी, और ताँबा.
2. अर्ध चालक :- वे पदार्थ जो न तो अच्छे चालक होते है और नही अच्छे कूचालक,अर्ध चालक या सेमीकन्डक्टरकहलाते है.
3. कुचालक :- वे पदार्थ जिससेइलेक्ट्रि ककरन्ट नहीं गुुुरज सके उसे कुचालक कहते है.
4. एम्प्लीफिकेशन :- इस क्रिया में कमजोर सिग्रल को शक्तिशाली में परिवर्तित किया जाता है.
5. ओसिलेशन:- इनमेें नई फ्रिक्वेन्सी जनेटर
जाती है.
6. मोडयूलेशन:- इनमें कमजोर सिग्रल को शक्तिशाली सिग्रल परसवार करके प्रसारित किया जाता है.
7. डामोडयूलेशन:- इनमें कमजोर सिग्रल को शक्तिशाली सिग्ररसे नीचे उतार लियााजाता है.
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